
बसन्त
आया बसंत,
मन में उल्लास,
फूला कचनार,
देख कर खिल उठा बुरांस,
कूजू का झाड़ भी,
हुआ क्या सफ़ेद झक -झक!
आया बसंत,
देखो प्रकृति कैसी इठलाई!
आम लीची की बौर,
देखो हर ठौर,
बन-बन फूली फ्यूंली कैसी!
प्रद्कृति का हो शगुन जैसे,
हर ठूंठ पर देखो,
ये कैसा है यौवन छाया!
देखो, बसंत आया,
मन में उल्लास लाया।
द्वारा-
सरोज

aapki kalam me basanti phool hain
ReplyDeletebahut acchi rachna Aunty ji...!
ReplyDelete