Wednesday, September 9, 2009

हौंसला

ज़िन्दगी क्या है?
कभी धूप कभी छावं,
कभी सुख कभी दुःख।
कभी मेल कभी विछोह,
कभी खुशी कभी गम।
सरल नही है जीवन की राहें,
कठिन भी नही है जीवन की राहें।
जैसे तुम चाहो इन्हे बनाओ,
तुम झुका सकती हो पहाड़ को,
रुख मोड़ सकती हो दरिया का।
हौंसला तुम ख़ुद का बढाओ,
राहें ख़ुद बनेंगी,
मंजिले कदम चूमेगी.

Tuesday, September 8, 2009

यादें

ऐसी यादें जो होती,

कुछ खट्टी कुछ मीठी

परत दर परत

चल चित्र सी,

खुलती परत दर परत

मन की यह उड़ान

बीते पलों को संजोये,

खुशियों को समेटे,

एकाकीपन का साथी,

ख़ुद की एक दुनिया,

जो सिर्फ़ अपनी है।

जिस पर सिर्फ़ और सिर्फ़

मेरा ही हो हक़,

एक बंद मुट्ठी की तरह।

मन के कोने में हर पल बंद,

मेरे एकाकी पलो में,

चुपके से झांकती यादें,

जो सिर्फ़ मेरी निजी हैं.

पुकार

बीते हुए कल को क्यों कोसते हो?
यह तेरा , यह मेरा, क्यों रोते हो?
खून का, पानी का
एक ही रंग धूप भी छांव भी सबकी एक-सी
भेद मिटा कर चले
प्यार बढ़ा कर रहे।
हम सब एक हैं,
दिखाएँ,
वंदेमातरम् का सही अर्थ ।
सबकी यह शस्यश्यामला,
एक माँ के बेटे होकर रहें,
भेद भुला दे ,भेद भुला दे।