Friday, May 15, 2009

सपने

छोटे- छोटे सपने
छोटी-छोटी खुशी
पूरी भी हैं अधूरी भी,
अपनी भी हैं पराई भी
जीवन का सफर तो, संध्या का
राही सा ,
थका थका सा रेंग रहा है
फ़िर भी,
मनन की उत्ताल तरंगे,
प्रतीक्षारत हैं,
भोर के प्रकाश की
जीवन की यह
भागदौड़, न ख़त्म होता सफर,
प्रतीक है
निरंतेर परिवर्तन का ,
जागी आँखों के सपने,
हम भी देखें,
जग भी देखे,
परिवर्तन हो ऐसा...
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयः

2 comments:

  1. सर्वे भवन्तु सुखिनः
    सर्वे सन्तु निरामयः
    Pranaam Maa....!

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