पुकार
बीते हुए कल को क्यों कोसते हो?
यह तेरा , यह मेरा, क्यों रोते हो?
खून का, पानी का
एक ही रंग धूप भी छांव भी सबकी एक-सी
भेद मिटा कर चले
प्यार बढ़ा कर रहे।
हम सब एक हैं,
दिखाएँ,
वंदेमातरम् का सही अर्थ ।
सबकी यह शस्यश्यामला,
एक माँ के बेटे होकर रहें,
भेद भुला दे ,भेद भुला दे।
Tuesday, September 8, 2009
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bahut khub - bas log yeh bhed bhula kar jine lage to jindgi - jindgi si ho jaaye...!
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