Tuesday, August 25, 2009

जीवन मूल्यांकन


पीछे मुड कर देखूं,
करूँ समय का अवलोकन,
क्या पाया क्या खोया?
यह मूल्यांकन कर न सकू,
बचपन की याद जो हैं शेष,
वही है पूँजी जीवन की विशेष।
यौवन आ कर सरक गया,
कुछ उपहार दे गया।
हृदय के जो हैं टुकड़े,
वे भी बिछड़ जायेंगे।
अपने-अपने नीड़ बना,
फुर्र हो जायेंगे।
पुनःजीवन पथ के दो राही,
यादो की गठरी लिए,
छुट जायेंगे अकेले।
क्या पता?
उनमे भी कौन राही कहाँ तक साथ चले,
फ़िर एक अकेला जाने कब तक,
खट्टी मीठी यादो को सीने से लगाये,
जिंदगी को ढोता रहेगा?
मौत के इंतज़ार में।


सरोज...


1 comment:

  1. समय का अवलोकन ,
    यादो का मूल्यांकन ,
    मीठी यादो का संकलन ,
    और - इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार ...!

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