यह ब्लॉग मेरी माँ के नाम है, जो दुनिया की सबसे अच्छी माँ है, इसमें मैं उनकी कुछ कवितायें और विचार व्यक्त करुँगी जो उन्होंने अपने अच्छे और बुरे समय में लिखी हैं।
Saturday, August 29, 2009
बसन्त
आया बसंत, मन में उल्लास, फूला कचनार, देख कर खिल उठा बुरांस, कूजू का झाड़ भी, हुआ क्या सफ़ेद झक -झक! आया बसंत, देखो प्रकृति कैसी इठलाई! आम लीची की बौर, देखो हर ठौर, बन-बन फूली फ्यूंली कैसी! प्रद्कृति का हो शगुन जैसे, हर ठूंठ पर देखो, ये कैसा है यौवन छाया! देखो, बसंत आया, मन में उल्लास लाया।
aapki kalam me basanti phool hain
ReplyDeletebahut acchi rachna Aunty ji...!
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