स्मृति
छहों ऋतुएं बारह महीनें,
लेकर आयेंगे त्योहार,
शहीद जो हो गए हैं,
उन्हें ही करेंगे याद,
सावन में जब आएगी राखी,
बहिन की रहेगी आस बाकी,
जिसकी खोई है कलाई, वो किसे बांधेगी राखी?
सूने दशहरा दीवाली...
दूज का टीका भी खाली,
बड़ा दिन हो या संक्राति,
हो लोहरी या बसंत,
आएगी होली बैशाखी
कसक दिल में रहेगी बाकी...
शहीदों तुम्हे न भूलेंगे,
रास्ता जो तुम दिखा गए,
उस से न हम भटकेंगे....
Tuesday, August 11, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDelete